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ये जिन्दगी भी बड़ी अजीब है इस को आज तक कोई भी समझ नहीं पाया है ये हर मोड़ पर लोगो को आजमाती हैं . ये सब बाते मैं अपने बड़ो से बचपन में सुनती थी तो लगता था कि ये सब कितनी बोर बाते कर रहे है इन को कोई काम नहीं है क्या ? लेकिन आज पता चलता है कि वो कितना सही बोलते थे . आदमी लाख बाते सोचता है लेकिन होता वही है जो वक्त चाहता है
जब मैं छोटी थी तो सोचती थी की कभी भी अपने घर से दूर नहीं जाऊंगी .अपने मां बाप से दूर नहीं जाऊंगी. हमेशा अपने परिवार के साथ ही रहुंगी . लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ . हुआ वही जो वक्त ने चाहा और वक्त ने आज मुझे अपने परिवार घर मां बाप सबसे दूर कर दिया. भले ही कारण कुछ भी हो पर अलग तो कर दिया . आज मैं एक अंजान शहर में अजनबीयों के बीच रह रही हूं . हर दिन हर पल मेरी नजरे अपनों को खोजती हैं पर कोई भी मुझे अपना नहीं दिखता है इस शहर में लाखों की आबादी है पर फिर भी मैं अकेली हूं . अगर यहां कोई आपसे यहां जुड़ता भी है तो कोई न कोई स्वार्थ से और जब काम पूरा हो गया तो वो इंनसान पहचानता भी नहीं है .
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आज के समय में प्यार अपनापन कही खो सा गया है सारे लोगों में सारे रिश्ते में स्वार्थ भर गया है लेकिन कुछ रिश्ते ऐसे है जिसमें कभी भी स्वार्थ शब्द नहीं आता और वो रिश्ता है मां बाप का . ये ही एक ऐसा रिश्ता हैं जिसमें कुछ पाने की नहीं बल्की हमेशा देने की चाहत रहती है
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जब भी मैं इस शहर को देखती हूं तो ऐसा लगता है की सब भाग रहे है सुबह से शाम हो रही है और लोग सिर्फ भाग रहे है पर उनको खुद भी नहीं पता की वो कहा भाग रहे है क्या पाना चाह रहे है आज के इस दौड़ में लोगों के पास अपने लिए वक्त नहीं है तो अपनों के लिए कहा से होगा.
आज जिन्दगी के इस सफर में अपनों के बगैर आगे बढ़ना बहुत बुरा लगता है लेकिन आगे बढ़ना पड़ता है यही तो जिन्दगी है .
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